■ मुक्तक : 423 – ख़्वाहिश Posted on December 26, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कई दिन के कुछ इक भूखे पड़े कुत्तों को बुलवाना ।। मुझे रख देना उनके आगे और तुम लोग हट जाना ।। मेरी ख़्वाहिश है ठीक ऐसा ही करना मैं मरूँ जिस दिन ; कहीं भी क़ब्र में मुर्दा न मेरा यारों दफ़नाना ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,776