मुक्तक : 429 – तक्लीफ़ो-ग़म-अलम से Posted on December 29, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments तक्लीफ़ो-ग़म-अलम से , शादमानियों से क्या ? बेलौस-कामयाबियों , बरबादियों से क्या ? अब जब न तेरा मेरा कोई वास्ता रहा – मुझे तेरी तंदुरुस्ती औ’ बीमारियों से क्या ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 124