■ मुक्तक : 431 – बचपन में ही इश्क़ Posted on December 30, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments बचपन में ही इश्क़ ने उसको यों जकड़ा ।। चौदह में लगता बत्तीस से और बड़ा ।। जो खाली लोटा न उठा पाता था कल , हाय ! उठाता है भर-भर वो आज घड़ा ।। –डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,148