■ मुक्तक : 437 – मुझको रोज़ अपना Posted on January 5, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments मुझको रोज़ अपना दीदार दिया करना तुम ।। एकटक मेरा भी दीदार किया करना तुम ।। मैं तुम्हारे बिन जब-जब ज़िंदगी तबाह करूँ , ख़ुद को कम से कम तब-तब मार लिया करना तुम ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,088