■ मुक्तक : 443 – दो घूँट में ही वो Posted on January 14, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments दो घूँट में ही वो नशे से रह भटक गये ।। दो डग ही मार बीच में अटक-सटक गये ।। मंजिल पे आ भी हम बरी हुए न दौड़ से , टाले टले न होश ख़ुम के ख़ुम गटक गये ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,328