■ मुक्तक : 448 – आज राजा सरीखा Posted on January 17, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments आज राजा सरीखा मुझको रंक लगता है ।। पाँव चींटे का भी मराल-पंख लगता है ।। इतना हर्षित हूँ काँव-काँव कुहुक सी लगती , रेंकना गदहों का मंदिर का शंख लगता है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,417