■ मुक्तक : 452 – रहूँ प्यासा गुलू में Posted on January 21, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments रहूँ प्यासा गुलू में चाहे क़तरा आब ना जाये ।। तुम्हारे इश्क़ में जलने की मेरी ताब ना जाये ।। नहीं क़ाबिल हूँ मैं हरगिज़ तुम्हारे पर दुआ इतनी , तुम्हें पाने का आँखों से कभी भी ख़्वाब ना जाये ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,729