■ मुक्तक : 462 – कर लूँ गुनाह मैं भी Posted on January 31, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments कर लूँ गुनाह मैं भी अगर कुछ मज़ा मिले ।। फिर उसमें भी हो लुत्फ़ जो मुझको सज़ा मिले ।। यों ही मैं क्यों करूँ कोई क़ुसूर कि जिसमें , बेसाख़्ता हों होश फ़ाख़्ता क़ज़ा मिले ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,282