■ मुक्तक : 469 – क्यों ख़ुदकुशी का फ़ैसला Posted on February 7, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments क्यों ख़ुदकुशी का फ़ैसला ये नौजवाँ करें ? अहमक़ क्या होशियार भी नादानियाँ करें ॥ दोनों तरफ़ लगी हो आग कब ये देखते ? इकतरफ़ा इश्क़ में ही क़ुर्बाँ अपनी जाँ करें ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,431