■ मुक्तक : 473 – एहसास दे जो Posted on February 10, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments एहसास दे जो पहली धार की शराब सा ॥ सच सामने हो फिर भी गर लगे वो ख़्वाब सा ॥ फ़ौरन निगाह का जनाब इलाज कीजिए , अच्छा नहीं चराग़ दिखना आफ़ताब सा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,319