■ मुक्तक : 480 – सारी दुनिया से अलग Posted on February 16, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments सारी दुनिया से दूर , भाग-भाग रहता था ।। खोया यादों में उसकी , जाग-जाग रहता था ।। मैं भी हँसता था जब कभी वो मुझपे आशिक़ थे , दिल ये मेरा भी होके , बागबाग रहता था ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,319