■ मुक्तक : 484 – नहीं कुछ मुफ़्त में Posted on February 18, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments नहीं कुछ मुफ़्त में देता वो पूरा दाम लेता है ॥ वगरना उसके एवज में वो दूना काम लेता है ॥ नहीं वो हमसफ़र मेरा न मेरा रहनुमा लेकिन , फिसलने जब भी लगता हूँ वो आकर थाम लेता है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,414