119 : ग़ज़ल – जबकि दिल आ गया
जबकि दिल आ गया किसी पर है ।।
कैसे फिर कह दूँ हाल बेहतर है ?1।।
बस किसी और से तू कहना मत ,
बात हालाँकि ये उजागर है ।।2।।
उसको साबित किया गया है सच ,
पर वो झूठा-ग़लत सरासर है ।।3।।
आँख क्यों ख़ुद ब ख़ुद न झुक जाए ,
रू ब रू शर्मनाक मंज़र है ।।4।।
मुझसे पूछो न आशिक़ी है क्या ,
कैसे कह दूँँ कि दर्देसर भर है ?4।।
काम दमकल का बाल्टी से लूँ ,
जल रहा है जो ये मेरा घर है ।।5।।
नींद आए मगर न आएगी ,
जिसपे लेटा हूँ गड़ता पत्थर है ।।6।।
तुझसे बेहतर नहीं वो क्यों मानूँ ,
जब वो आगे है , तुझसे ऊपर है ?7।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति