■ मुक्तक : 496 – सिंदूर माँग का Posted on March 5, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments सिंदूर माँग का न पग की धूल हम हुए ।। जूड़े का भी नहीं न रह का फूल हम हुए ।। उसने तो उसको चाहने की छूट भी न दी , दिल रख के भी यों इश्क़ के फ़ुज़ूल हम हुए ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,508