■ मुक्तक : 497 – कितनी-कितनी मुश्किलेंं Posted on March 6, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments कितनी-कितनी मुश्किलें , किस-किस क़दर दुश्वारियाँ ॥ तै है रोने-धोने की आएँगीं अनगिन बारियाँ ॥ कर रहा सब जान दिल के हाथ हो मज्बूर पर , चाँद से भोला चकोरा इश्क़ की तैयारियाँ ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,921