■ मुक्तक : 510 – कह पाओ रू-ब-रू Posted on March 20, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments कह पाओ रू-ब-रू ना , नाजुक-ओ-नरम दिल के ।। पढ़ संगदिल भी जिनको , हो जाएँ रहम दिल के ।। भेज ऐसे डाकिये से , पैग़ामे महब्बत वो , क़िर्तास पे वो कर सब , जज़्बात रक़म दिल के ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,426