■ मुक्तक : 515 – सच में Posted on March 26, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments सच में ऐसे सँभाल कर रक्खे , जाँ के जैसे सँभाल कर रक्खे – हमने सब तेरे तोहफ़े अब तक । तूने कैसे सँभाल कर रक्खे ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,337