देवी गीत ( 2 ) तेरे दर्शन को आना चाहूँ
तेरे दर्शन को आना चाहूँ पर आऊँगा मैं कैसे माँ ?
पग जाते रहे दोनों मेरे चल पाऊँगा मैं कैसे माँ ?
तेरे दर्शन को आना चाहूँ……………………………?
हाथों में शंख चक्र साजै मुखड़े पर तेज रहे पावन ,
सुनता बस आया हूँ तेरा है रूप बड़ा ही मनभावन ,
अब नयनहीन दर्शन तेरे कर पाऊँगा मैं कैसे माँ ?
पग जाते रहे दोनों मेरे चल पाऊँगा मैं कैसे माँ ?
तेरे दर्शन को आना चाहूँ……………………………?
सज्जन दुर्जन कोई भी हो जो भी जाये तेरे द्वारे ,
हर ले झट सबके कष्ट करे कल्याण सभी का तू तारे ,
दरबार में तेरे पहुँचे बिन तर पाउँगा मैं कैसे माँ ?
पग जाते रहे दोनों मेरे चल पाऊँगा मैं कैसे माँ ?
तेरे दर्शन को आना चाहूँ……………………………?
है शक्ति तेरी भक्ति में बड़ी ध्यानू की लाज धरी तूने ,
गदगद हो वीर शिवाजी को अविजित तलवार वरी तूने ,
बिन तुझको प्रसन्न किये मन के वर पाउँगा मैं कैसे माँ ?
पग जाते रहे दोनों मेरे चल पाऊँगा मैं कैसे माँ ?
तेरे दर्शन को आना चाहूँ……………………………?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति