मुक्तक : 522 – तल्लीन हो , तन्मय हो Posted on April 10, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) तल्लीन हो , तन्मय हो स्वयं को भी भूल हम ।। पलकों से पहले चुनते थे सब काँटे-शूल हम ।। आते थे वो जिस राह से फिर उसपे महकते , हाथों से बिछाते थे गुलाबों के फूल हम ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 288