■ मुक्तक : 523 – जो कर रहा है तू वो Posted on April 11, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments जो कर रहा है तू वो गुनह है ज़लाल है ।। मरने का ग़म नहीं है मुझे ये मलाल है ।। मैं तुझको सरपरस्त समझता था तू मगर , अपने ही हाथों कर रहा मुझको हलाल है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,321