■ मुक्तक : 525 – क्या वाँ यहाँ क्या Posted on April 14, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments क्या वाँ यहाँ क्या सारे ही जहान में पड़े ।। ख़ालिस दिखावे झूठमूठ शान में पड़े ।। औरों की नाँह अपनी वज़्ह ही कमाल है , ऊँचे से ऊँचे लोग भी ढलान में पड़े ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,374