■ मुक्तक : 528 – कोयल-कुहुक से काक Posted on April 18, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments कोयल-कुहुक न काक-काँव-काँव से पूछो ।। मत झूठे शह्रों से न गाँव-गाँव से पूछो ।। मेरी सचाई की जो चाहिए गवाहियाँ , तो धूप-चाँदनी से छाँव-छाँव से पूछो ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,331