■ मुक्तक : 529 – जब अपना ख़्वाब टूटा Posted on April 19, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments जब अपना ख़्वाब टूटा बड़ा दिल का ग़म बढ़ा ।। तब मरते कहकहों का यकायक ही दम बढ़ा ।। जीने को और-और भी मरने लगे अपन , जब ज़ुल्म ज़िन्दगी पे हुआ जब सितम बढ़ा ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,328