■ मुक्तक : 547 – तक्लीफ़ पे तक्लीफ़ Posted on June 19, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments तक्लीफ़ पे तक्लीफ़ दर्द , दर्द पे दिया ।। था जो भी दिया तुमने हाथों हाथ उसे लिया ।। तुम जैसा न शौक़ीन-ए-ग़म कि दिल ही दिल में रो , हँस-हँस के सितम झेले सब कभी न उफ़ किया ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,527