■ मुक्तक : 550 – पोखर का गँदला पानी Posted on June 21, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments पोखर का गँदला पानी कह , बशौक़ गंगजल ।। खुर जैसे पंजों को पुकार , ले चरण-कमल ।। हद कर मगर न इतनी भी , तू ऐ ख़ुशामदी , मतलब को तू गधे से बाप का करे बदल !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,333