■ मुक्तक : 555 – हुस्न की अब क्या तेरे Posted on June 25, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments हुस्न की अब क्या तेरे तारीफ़ में कहना ? लेक जब लब आ गई ख़ामोश क्यों रहना ? तेरे आगे मुफ़्त मिट्टी के सभी ढेले , तू खरे सोने का वज़्नी क़ीमती गहना ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,337