मुक्तक : 557 – अपने ही दफ्न को Posted on June 26, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments अपने ही दफ़्न को मरघट आए हुए ॥ ख़ुद का काँधों पे मुर्दा उठाए हुए ॥ देखिए बेबसी ये हमारी कि हम , खिलखिलाते हैं आँसू छिपाए हुए ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 113