■ मुक्तक : 566 – डूब चलों की गोद में Posted on July 4, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments डूब चलों की गोद में मानो साहिल दे दें ॥ पथभ्रष्टों के पाँव तले ज्यों मंज़िल दे दें ॥ सच कहता हूँ जानबूझकर या भूले गर , तुम जैसे हम जैसों को अपना दिल दे दें ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,938