■ मुक्तक : 569 – देख कर सिर्फ़ सफ़ेदी Posted on July 8, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments देख कर सिर्फ़ सफ़ेदी को चून कहना ग़लत ।। वह्म में लाल सियाही को ख़ून कहना ग़लत ।। अश्क़ खारे हों हो खारा तो पसीना भी मगर , स्वाद की वज़्ह उन्हें नोन-नून कहना ग़लत ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,442