■ मुक्तक : 581 – याँ मुफ़्त वाँ नक़द Posted on July 18, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments याँ मुफ़्त वाँ नक़द कहीं बग़ैर ब्याज उधार ।। महँगी कहीं कहीं पे सस्ती चीज़ें बेशुमार ।। मुँहमाँगी क़ीमतें ले हाथ में फिरे हैं रोज़ , मिलता नहीं कहीं जहाँ में प्यार का बज़ार ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,336