मुक्तक : 585 – मुझे तो तेरी तबीयत Posted on July 20, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार अवतरित ) मुझे तो तेरी तबीअत ख़राब लगती है ।। मेरी दवा है जो तुझको शराब लगती है ।। हलक़ उतरते ही जब ये दिमाग़ पर चढ़ती , हयाते ख़ार भी गुल-ए-गुलाब लगती है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 114