■ मुक्तक : 593 – यूँ ही सी नहीं कोई Posted on July 31, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments यूँ ही सी नहीं कोई मुसीबत से सामना ॥ करता हूँ नई रोज़ अज़ीयत से सामना ॥ यूँ भी न समझ दर्द उठाता हूँ हो खफ़ा , करता हूँ तह-ए-दिल से , तबीअत से सामना ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,345