■ मुक्तक : 597 – यहाँ क्या और वहाँ क्या Posted on September 13, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments यहाँ क्या और वहाँ क्या हर जगह पर याद आता है ॥ नहीं रुक – रुक के वो मुझको निरंतर याद आता है ॥ रहा करते थे जब उसमें न जानी क़द्र तब उसकी , कि घर से दूर होकर अब बहुत घर याद आता है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,437