■ मुक्तक : 595 – अपना मज़्हब छोड़ Posted on September 11, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments अपना मज़्हब छोड़ तेरा अपने सर मज़्हब किया ॥ रब को रब ना मानकर तुझको ही अपना रब किया ॥ होश में हरगिज़ न करते जो वो बढ़-बढ़ शौक़ से , हमने तेरे इश्क़ की दीवानगी में सब किया ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,230