मुक्तक : 598 – कहा करते हैं लो Posted on September 13, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments कहा करते हैं लो इस हाथ उस से दो मोहब्बत ॥ हक़ीक़त में मगर जाने न क्या ये हो मोहब्बत ॥ नफ़ा-नुक़्सान का करके ख़याल अब के जहाँ में , तिजारत की तरह करते हैं लोग इश्क़ो-मोहब्बत ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 101