■ मुक्तक : 600 – छः को छः Posted on September 15, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments छह को छह , सत्ते को बोले सात वह ॥ दिन को दिन , रातों को बोले रात वह ॥ कैसे मानूँ है नशे में चूर फिर , कर रहा जब होश की हर बात वह ? –डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,339