■ मुक्तक : 605 – कुछ जी भर कुछ Posted on September 19, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments कुछ जी भर कुछ नाम मात्र को भोग लगाते हैं ॥ मूरख क्या ज्ञानी से ज्ञानी लोग लगाते हैं ॥ खुल्लमखुल्ला, लुक-छिपकर, चाहे या अनचाहे, किन्तु सभी यौवन में प्रेम का रोग लगाते हैं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,235