■ मुक्तक : 606 – तुमको इक-दो बार Posted on October 4, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments तुमको इक-दो बार मुझको तो मगर अक्सर लगे ॥ दुश्मनों की आड़ में यारों के कस-कस कर लगे ॥ सब भले लगते भला किसपे शक़ ओ शुब्हा करूँ ? जाने किस-किस के वले छुप-छुप के सर पत्थर लगे ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,325