■ मुक्तक : 608 – याद के शोलों में Posted on October 5, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments याद के शोलों में ख़ुद को , फूँकता है आज भी ॥ तू नहीं फिर भी तुझे दिल , ढूँढता है आज भी ॥ जाते-जाते वो तेरा मुझको बुलाना चीखकर , रात-दिन कानों में मेरे , गूँजता है आज भी ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,437