मुक्तक : 616 – न कोई अमीर-ऊमरा Posted on October 13, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments कोई अमीर-ऊमरा न मुफ़्लिसो-ग़रीब ।। फटका न पास का न कोई दूर का क़रीब ।। पूरे बज़ार में मिला न इक ख़रीददार , बैठा जो मुफ़्त में भी अपना बेचने नसीब !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 529