■ मुक्तक : 620 – बनाने वाला ही Posted on October 17, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments बनाने वाला ही मुझको तबाह करता है ! मिटाके आह न भर वाह-वाह करता है ! है मुझपे पूरा हक़-ओ-इख़्तियार जब उसका , सही है फिर वो कहाँ कुछ गुनाह करता है ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,576