मुक्तक : 623 – जाने किन ऊँचाइयों से Posted on October 19, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments जाने किन ऊँचाइयों से गिर पड़ा है ? उठके भी ताले सा मुँह लटका खड़ा है ॥ और सब सामान्य है पर देखने में , पूर्ण जीवित भी वो लगता अधमड़ा है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 110