मुक्तक : 629 – साधु-संतों से Posted on November 3, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments साधु-संतों से जटा-जूट-मूँछ धारी में ॥ ईश्वरोपासना में रत-सतत पुजारी में ॥ काम का भाव लेश मात्र भी न था तब तक , तुझको देखा न था जब तक उ ब्रह्मचारी में ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 144