■ मुक्तक : 631 – मेरी आँखों ने Posted on November 6, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments मेरी आँखों ने जो कल अपलक निहारा है ॥ वो विवशताओं का उलटा खेल सारा है ॥ है अविश्वसनीय,अचरजयुक्त पर सचमुच , एक मृगछौने ने सिंहशावक को मारा है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,554