■ मुक्तक : 636 – हाथ उठाकर Posted on November 12, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments हाथ उठाकर आस्माँ से हम दुआ ॥ रात-दिन करते रहे तब ये हुआ ॥ कल तलक जिसके लिए थे हम नजिस , आज उसी ने हमको होठों से छुआ ॥ ( नजिस = अछूत, अस्पृश्य , अपवित्र ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,361