■ मुक्तक : 638 – गर्मी में बरसात Posted on November 14, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments गर्मी में बरसात हो जाये ।। मँगते की ख़ैरात हो जाये ।। वीराँ में तुझसे जो मेरी सच , कुछ अंदर की बात हो जाये ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,041