■ मुक्तक : 643 – सिर्फ़ होती है ख़ता Posted on November 20, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments सिर्फ़ होती है ख़ता या कि भूल होती है ॥ ये नगीना न फ़क़त ख़ाक-धूल होती है ॥ मैंने माना कि महब्बत में तू हुआ है फ़ना , फिर भी मत कह कि मोहब्बत फ़िजूल होती है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,162