■ मुक्तक : 644 – सीने में दिल Posted on November 23, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments सीने में दिल सवाल उठाता है !! मग्ज़े सर भी ख़याल उठाता है !! सबके ग़ुल पे ज़माना चुप मेरी , सर्द चुप पे बवाल उठाता है !! (मग्ज़े सर = मस्तिष्क , गुल =हल्ला-गुल्ला ) -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,465