मुक्तक : 654 – दुर्गंधयुक्त स्वेद Posted on December 28, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments दुर्गंधयुक्त स्वेद भी गुलाब इत्र था ।। सच थूक भी उसे मेरा कभी पवित्र था ।। दिखती थी रश्मिपुंज मेरी कालिमा उसे , जब वो कभी मेरा अभिन्न इष्ट मित्र था ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 1,533