■ मुक्तक : 655 – सुंदरता Posted on December 30, 2014 /Under मुक्तक /With 0 Comments सुंदरता को द्विगुणित करके अलंकरण से ॥ चलती जब वह हौले-हौले कमल चरण से ॥ यदि अति कायर भी उसके संग को तरसता , फिर उसको पाने वो डरता नहीं मरण से ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,598